विजय हो पर,ध्यान पहले इस पर ! कि किस की ? और, किस पर ?

विजय हो पर,ध्यान पहले इस पर ! कि किस की ? और, किस पर ?

जब एक और नेक ही से उद्भूत हो आज हम सब अनेक हैं ।फिर क्यों नहीं आज हम सबके इरादे नेक हैं। उस परं-एक की, अपनी अद्वैत भाव दृष्टि की अवस्था में, विशिष्ट द्वैतों के माध्यम से सृजित हुई व्यवस्था में ही सम्पूर्ण सृष्टि का व्यक्तित्व,विस्तार और व्यवहार है। इस एकत्व की स्मृति...