प्रश्न: गुरुजी, अध्यात्म धर्म सम्प्रदाय रिलीजन मज़हब पंथ में क्या अंतर है? मनुष्य को इनमें से क्या चुनना चाहिए?
उत्तर: गुरुजन कहते हैं कि तात्त्विक दृष्टि से हम परमेश्वर से कभी अलग नहीं हो सकते रिलीजन या मज़हब कहते हैं कि हम कभी अल्लाह या गॉड से एकाकार नहीं हो सकते । ये एक मूल अंतर है। जहाँ अध्यात्म सभी को सदैव पूर्ण देखता है वहीं धर्म, सभी के पूर्ण होने की सनातन संभावना देखता है।यदि अध्यात्म को मनुष्य का लक्ष्य और, धर्म को लक्ष्य तक पहुँचने हेतु बने राजपथ की तरह देखें तो, सम्प्रदाय व पंथ लक्ष्य तक पहुँचने की पगडंडी की तरह देखे जाएंगे। इसलिए चुनना प्राथमिक तौर पर अध्यात्म को ही चाहिए क्योंकि, केवल उसी के चुनने से , जिस सीमा तक धर्म सम्प्रदाय रिलीजन मज़हब पंथ हमारे यथार्थ उत्थान में काम के होते हैं उस, सीमा तक वे (जन्मना) स्वतः हमारे काम आ जाते हैं उन्हें (पुनः)चुनना नहीं पड़ता।